घाघरा के निशाने पर आए चार गांवं, कटान शुरू
सुजानपुर, लालापुर, माथुरपुर और देवी पुरवा के दो हजार परिवारों में दहशतब चाव कार्य के लिए आए बारदाने को उठा ले गए बाढ़ खंड कर्मी
जिले की उत्तर सीमा पर पिछले कई दशकों से तबाही मचा रही घाघरा नदी का कटान शुरू हो गया है। इससे चार गांवों के करीब दो हजार परिवारों में अपना आशियाना उजड़ने का खौफ मड़राने लगा है। लेकिन शासन-प्रशासन सब कुछ देखते हुए भी अपने को अनजान बना हुआ है। यदि समय रहते बचाव कार्य शुरू नहीं हुआ तो वह दिन भी अब दूर नहीं होंगे कि चार गांवों का वजूद खत्म हो जाएगा, और करीब दो हजार परिवार बेघर हो जाएंगे।
घागरा की विनाश लीला पर यदि एक नजर डालें तो पिछले दो दशक में जहां तराई क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि नदी में समा चुकी है तो वहीं दर्जनभर गांव भी कटान की भेंट चढ़ चुके हैं। विगत वर्षों की भांति घाघरा की विनाश लीला शुरू हो चुकी है और सुजानपुर, लालापुर, माथुरपुर व देवी पुरवा आदि चार गांव कटान के मुहाने पर हैं। जिसमें माथुरपुर और लालापुर गांव से घाघरा की दूरी महज सौ मीटर शेष बची है। पूर्व प्रधान अच्छेलाल समेत कई ग्रामीणों ने बताया है कि कटान को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराया गया लेकिन ग्रामीणों का दुर्भाग्य ही कहे की बचाव कार्य के नाम पर अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है। जिससे खेती-बाड़ी सब कुछ नदी में गवां चुके ग्रामीणों में अब अपना आशियाना उजड़ने का खौफ मंड़राने लगा है। हलांकि कटान की गति भले ही अभी धीमी है लेकिन आने वाले दिनों में ज्यों ही कटान की रफ्तार बढ़ेगी तो कुछ ही घंटों के अंतराल में लालापुर के साथ ही एक बार पुनः माथुरपुर गांव देखते ही देखते नदी में समा जाएगा। तत्पश्चात बहुत बड़ी आबादी वाले गांव सुजानपुर व देवी पुरवा गांव भी घाघरा के निशाने पर आ जाएंगे। ग्रामीणों ने बताया कि कटान को लेकर विगत सप्ताह दैनिक जागरण में प्रमुखता के साथ प्रकाशित खबर के बाद बचाव कार्य शुरू करने हेतु कुछ बारदाना आया था जिसे दो दिन पूर्व बाढ़ खंड विभाग के कर्मचारी यह कहते हुए उठा ले गए कि यहां बचाव कार्य संभव नहीं है।
घाघरा में समा चुके गांव पिछले दो दशक में घाघरा नदी में समां चुके गांवों पर यदि एक नजर डालें तो माथुरपुर, मोटे बाबा, मोती पुर, कुरतहिया, ठकुरी पुरवा, निविया पुरवा, गोड़ियनपुरवा धर्मपुर तथा हुलास पुरवा आदि दर्जनभर गांवों के नाम शामिल हैं। जिसमें माथुरपुर, मोतीपुर और कुरतहिया गांव एक बार पुनः कटान के मुहाने पर आ गए हैं। यह तीनों गांव एक दशक के अंतराल में घाघरा नदी में समा चुके थे। जैसे तैसे सुरक्षित स्थानों पर अपना आशियाना बना कर गुजर-बसर कर रहे उक्त ग्रामीणों पर एक बार फिर कटान का खौफ मंड़राने लगा है।
ब्यूरो-रिपोर्ट आरिफ खान